महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, अमेरिका में मंदी की आशंका गहराना और चीन में एक बार फिर कोविड के कहर जैसी तमाम नकारात्मक रिपोर्ट्स के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में कुछ हफ्ते पहले तक भारी बिकवाली कर रहे थे। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) 16 जून तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के इंडेक्स फ्यूचर सेगमेंट में 1.46 लाख कॉन्ट्रैक्ट्स में शॉर्ट पोजीशन लिए हुए थे। यह बिकवाली की तैयारी होती है
8 जुलाई तक उनकी यह पोजीशन घटकर 62,000 पर आ गई और उसके बाद इसमें मोटे तौर पर स्थिरता देखी गई। इसका असर भी हुआ। इस बीच निफ्टी में करीब 5% उछाल आया और अब उतार-चढ़ाव में कमी देखी जा रही है। विश्लेषकों के मुताबिक, कुछ महीनों से बाजार में बड़े पैमाने पर बिकवाली हो चुकी है
ऐसे में भारतीय बाजार में सिर्फ इसलिए और बिकवाली का कोई मतलब नहीं है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर माहौल नकारात्मक बना हुआ है। कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर में गिरावट यदि और बढ़ती है तो विदेशी निवेशकों की खरीदारी उम्मीद से पहले भी शुरू हो सकती है।
इस महीने फ्यूचर में एफपीआई की शुद्ध खरीदारी
जुलाई में अब तक एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार के फ्यूचर सेगमेंट में 169 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की है। इससे पहले 5-8 जुलाई के बीच इंडेक्स फ्यूचर में 4,666 करोड़ रुपए की और स्टॉक फ्यूचर में 1,044 रुपए की खरीदारी की। हालांकि कैश सेगमेंट में इस माह अब तक उन्होंने 6 हजार करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा की बिकवाली की है।
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